रावण का पुष्पक विमान के बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे आप !

मन की गति से उड़ता पुष्पक विमान आज के एडवांस साइंस को चुनैती देता हैं 
रावण के पास एक दिव्य विमान था, जो मन की गति से चलता था मतलब प्रकाश की गति से , 
यह विमान  इच्छा के अनुसार बहुत बड़ा भी हो सकता था और छोटा भी। इस कारण पुष्पक से रावण पूरी सेना के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक आना-जाना कर सकता था।
 रामायण में बताया गया है कि रावण ने सीता का हरण किया और पुष्पक से ही लंका पहुंचा था।
 उस समय का विज्ञान आज से काफी आधुनिक था 
हज़ारो सालो पहले इतने आधुनिक विमान को कैसे बनाया गया होगा,  


रामायण के अनुसार रावण के पास कई लड़ाकू विमान थे। पुष्पक विमान के निर्माता विश्वकर्मा थे। कुछ के अनुसार पुष्‍पक विमान के निर्माता ब्रह्मा थे। ब्रह्मा ने यह विमान कुबेर को भेंट किया था। कुबेर से इसे रावण ने छीन लिया। रामायण में वर्णित है कि रावण पंचवटी से माता सीता का हरण करके पुष्पक विमान से लंका लेकर आया था। रावण की मृत्‍यु के बाद विभीषण इसका अधिपति बना और उसने फिर से इसे कुबेर को दे दिया। कुबेर ने इसे राम को उपहार में दे दिया था। राम लंका विजय के बाद अयोध्‍या इसी विमान से पहुंचे थे।



रावण की लंका में छह एयरपोर्ट
👉 वेरांगटोक (श्रीलंका के महीयांगना में):
वेरांगटोक जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था।
महियांगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहाँ ले जाया गया था, उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब सीतोकोटुवा नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है। वेरांगटोक में था रावण का वायुसेना मुख्यालय।
👉 थोटूपोला कांडा (होटोन प्लेन्स):
थोटूपोला का अर्थ पोर्ट से है। ऐसा स्थान जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी यात्रा शुरू करता हो। कांडा का मतलब है पहाड़।
थोटूपोला कांडा समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर एक समतल जमीन थी। माना जाता है कि यहां से सिर्फ ट्रांसपोर्ट जहाज ही हवा में उड़ाए जाते थे।
👉 वारियापोला (मेतेले):
वारियापोला के कई शब्दों में तोड़ने पर वथा-रि-या-पोला बनता है। इसका अर्थ है, ऐसा स्थान जहां से एयरक्राफ्ट को टेकऑफ और लैंडिंग दोनों की सुविधा हो। वर्तमान में यहां मेतेले राजपक्षा इंटरनेशनल एयरपोर्ट मौजूद है।
👉 गुरुलुपोथा (महीयानगाना):
सिंहली भाषा के इस शब्द को पक्षियों के हिस्से कहा जाता है। इस एयरपोर्ट एयरक्राफ्ट हैंगर या फिर रिपेयर सेंटर हुआ करता था।

Comments

Popular posts from this blog

नाथूराम गोडसे ने गांधी को क्यों मारा?

कैसे हुई स्वामी विवेकानंद की मृत्यु